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Showing posts from August, 2019

अग्रसर प्राणी ।

आज कल जीवन में प्रोत्साहित करने वाले कम और निराश करने वाले ज्यादा लोग मिलेंगे । ऐसे व्यक्तित्व पर तंज कसते हुए उनको राह की तुच्छ  रुकावट मानते हुए कुछ पंक्तियां लिखता हूँ ।  पंक्तियां  हैं: - तू हार है , मैं जीत हूँ , तू धूप है , मैं छाँव हूँ , यदि है चट्टान तु , तो मैं भी बहता पानी हूँ , हिम्मत है तो रोक लो अग्रसर मैं प्राणी हूँ। मंजिल चाहे कठिन हो , रास्ते भी रोक लो , अपने निर्मित रास्ते से मंजिल भी पा जाऊँगा , निर्माण करुँगा सरल रास्ता , ऐसा मैं निर्माता हूँ ၊ यदि है चट्टान तु , तो मैं भी बहता पानी हूँ , हिम्मत है तो रोक लो अग्रसर मैं प्राणी हूँ। तू तलवार है , मैं ढाल हूँ , तू समस्या है , मैं समाधान हूँ , जितना भी तुम रोक लो , चाहे जान भी तुम झोंक दो , मैं अथक का पर्याय हूँ ၊ यदि है चट्टान तु , तो मैं भी बहता पानी हूँ , हिम्मत है तो रोक लो अग्रसर मैं प्राणी हूँ। बिछा दो काँटे मेरे राहों में,  चाहे ज्वाले से पथ भर दो तुम , नग्न पॉव पथ तय कर लूंगा , मैं शीतलता का परिभाषा हूँ ၊ यदि है चट्टान तु , तो मैं भी बहता पानी हूँ , हिम्मत है तो रोक लो अग्रसर मैं प्रा

लौह नारी! सुषमा स्वराज।

आज का दिन (6.08.2019)  भारत के लिए एक दुखद दिन है। दुनिया को नारी शक्ति की सदियों पहले से  सटीक परिभाषा देने वाले हमारे भारत ने एक ऐसी ही नारी को खोया हैं। मैं बात कर रहा हूं भारत की लौह नारी स्वर्गीय सुषमा स्वराज की । इनके खिदमत में जितनी भी पंक्तियां लिखी जाए कम हैं ।  पर मैं कुछ पंक्तियां इनके लिए संबोधित करना चाहूंगा। पंक्तियां हैं : था सरदार यदि लौह पुरुष, वह भी तो लौह नारी थी,  दुनियां में जिनका डंका बजता , वो स्वराज सबकी प्यारी थी । चली गई वो यूं छोड़कर,  सबके नैनों में अश्रु देकर,  कोयल सी जिसकी वाणी थी, राष्ट्र संयुक्त की जो रानी थी, वो स्वराज सबकी प्यारी थी । वो नारी शक्ति की परिभाषा थी , वो मेहनत व कुशलता की पराकाष्ठा थी, वजीरे विदेश के कौशल से निहित,  वो स्वराज सबकी प्यारी थी । रजिया सी जो रजनैतिज्ञ थी, ज्ञान सरस्वती सा था जिसमे,  थी वो पतिवर्ता   और जिसने माँ की भी परिभाषा जानी थी, वो स्वराज सबकी प्यारी थी, वो स्वराज सबकी प्यारी थी। नमन है देश की ऐसी बेटी को , ईश्वर इनके आत्मा को शांति दे।