#फर्क पड़ता है।
याद करता हूं 2011 का विश्वकप जबसे मेरे अंदर क्रिकेट देखने की चाहत जगी थी, विश्वकप फाइनल का वो मुकाबला जब धोनी ने छक्का मार कर विश्वपटल पर कप को अपने नाम किया था, शायद तभी से इस व्यक्ति के लिए पता नहीं क्यूं अलग सम्मान जागृत हो गया था । बहुत कुछ सीखा इनसे , कठिन से कठिन परिस्थितियों को अपने शांतिपूर्ण तरीके से अपने पक्ष में करने का हुनर तो लाजवाब था। गायक मुकेश का एक नगमा याद आता है , जो अक्सर माही गुनगुनाते रहते थे और शायद उनका प्रिय नगमा भी था, " मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी जवानी है, पल दो पल मेरी हस्ती है , पल दो पल मेरी कहानी है"। लेकिन मेरा मानना है पल यानी समय के एक टुकड़े में तो क्या आने वाले अनंत समय में ना कोई धोनी आयेगा और ना कोई धोनी बन पाएगा , क्यूंकि माही " #तू_एक_है_तेरे_जैसे_कहां_अनेक_ हैं"? जब तक क्रिकेट शब्द रहेगा तब धोनी की हस्ती बनी रहेगी । आज यदि क्रिकेट के एक युग का अंत हुआ है तो इस युग के अंत तक क्रिकेट जगत में माही एक ही होगा, क्यूंकि क्रिकेट यदि जिस्म है तो माही उसका जान है। " क्या कभी अम्बर से सूर्य बिखरता है , क्या कभी ब