#फर्क पड़ता है।
गायक मुकेश का एक नगमा याद आता है , जो अक्सर माही गुनगुनाते रहते थे और शायद उनका प्रिय नगमा भी था,
" मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी जवानी है,
पल दो पल मेरी हस्ती है , पल दो पल मेरी कहानी है"।
लेकिन मेरा मानना है पल यानी समय के एक टुकड़े में तो क्या आने वाले अनंत समय में ना कोई धोनी आयेगा और ना कोई धोनी बन पाएगा ,
क्यूंकि माही " #तू_एक_है_तेरे_जैसे_कहां_अनेक_ हैं"?
जब तक क्रिकेट शब्द रहेगा तब धोनी की हस्ती बनी रहेगी ।
आज यदि क्रिकेट के एक युग का अंत हुआ है तो इस युग के अंत तक क्रिकेट जगत में माही एक ही होगा, क्यूंकि क्रिकेट यदि जिस्म है तो माही उसका जान है।
" क्या कभी अम्बर से सूर्य बिखरता है , क्या कभी बिन बाती दीपक जलता है , कैसी है ये अनहोनी हर आंख हुई नम, क्रिकेट छोड़ गया जो तू कैसे जिएंगे हम "
इसी संदर्भ में अपने प्यारे #माही के लिए मैंने अपने स्वरचित मनभाव स्याही द्वारा पन्ने पर उतारा है जो आपलोगों के सामने पेश कर रहा हूं , समय मिले तो अपनी दृष्टि जरूर डालें।
तू था तो कोई गम न था ,
पर तेरे न होने से फर्क पड़ता है,
तेरे इस प्रकार अचानक क्रिकेट छोड़ जाने से फर्क पड़ता है।
अब कौन संभालेगा तेरे चीकू को ,
तेरे जाने से क्रिकेट के ज़र्रे ज़र्रे को फर्क पड़ता है।
उस नरमी से गरम माहौल को संभालना,
हार को भी हस कर टालना,
ये मत सोच की तेरे जैसा कोई दूसरा आयेगा,
तेरे छोड़ जाने से क्रिकेट भविष्य के सितारों को फर्क पड़ता है,
तेरे जैसा दूजा कहां, तेरे जाने से तेरे हरेक मुरीद को फर्क पड़ता है।
अब हमेशा दिल में एक मलाल आयेगा,
तुझे क्रिकेट में ने देखू तो खयाल आयेगा,
एक था जो हार को भी जीत में बदल जाता था,
अब क्या ऐसा होगा ? मन में एक सवाल आयेगा।
तेरे इस तरह छोड़ जाने से उस जीत को फर्क पड़ता है,
तेरे यू लिए संन्यास से क्रिकेट जगत को फर्क पड़ता है।
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Great 👍🏻
ReplyDeleteWah wah, bht khoob🔥
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