बुरा लगता है !
गर्मियों का मौसम बहुतों के लिए बड़ा ही बेचैनी भरा अनुभव लेकर आता है। जब गर्मियां अपनी जवानी पर होती हैं तो लोग पंखे और कूलर का सहारा लिया करते हैं। दिनों दिन बढ़ती प्रदूषण से गर्मी में और जवानी आ गई है।अब तो पंखे भी लू के ताप से गरम हवा बिखेरतीं है। ऐसे में लोग वातानुकूलन का सहारा लेते हैं। " लेकिन ध्यान रहे , तपतपाती गर्मीयों में भी कुछ ऐसे भी होते हैं जो हमेशा कार्यरत रहते हैं। अदाहरण के तौर पर किसान को लिया जा सकता है। ऐसे अनेकों उदाहरण आपको मिल जाएंगे। इन्हीं लोगों को समर्पित अपने दिल से निकली कुछ पंक्तियाँ लिखना चाहूँगा ၊ पंक्तियाँ हैं : बुरा लगता है ! बुरा लगता है , जब AC लगे शीतल कमरे में बैठा, मन में एक खयाल आता है , कि कोई गर्मियों के धूप से बचने के लिए उम्मीदों का छाव ढूढ़ रहा होगा। बुरा लगता है ! बुरा लगता है , जब AC लगे शीतल कमरे में बैठा, मन में एक खयाल आता है , कि कोई पिता तपतपाती गर्मी के चिलचिलाती धूप सहकर अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना कर रहा होगा। बुरा लगता है ! बुरा लगता है , जब AC लगे शीतल कमरे में बैठा,