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Showing posts from June, 2019

बुरा लगता है !

गर्मियों का मौसम बहुतों के लिए बड़ा ही बेचैनी भरा अनुभव लेकर आता है। जब गर्मियां अपनी जवानी पर होती हैं तो लोग पंखे और कूलर का सहारा लिया करते हैं। दिनों दिन बढ़ती प्रदूषण से गर्मी में और जवानी आ गई है।अब तो पंखे भी लू के ताप से गरम हवा बिखेरतीं है। ऐसे में लोग वातानुकूलन का सहारा लेते हैं।  " लेकिन ध्यान रहे , तपतपाती गर्मीयों में भी कुछ ऐसे भी होते हैं जो हमेशा कार्यरत रहते हैं। अदाहरण के तौर पर किसान को लिया जा सकता है। ऐसे अनेकों उदाहरण आपको मिल जाएंगे। इन्हीं लोगों को समर्पित अपने दिल से निकली कुछ पंक्तियाँ लिखना चाहूँगा ၊ पंक्तियाँ हैं : बुरा लगता है ! बुरा लगता है ,  जब AC लगे शीतल कमरे में बैठा,  मन में एक खयाल आता है ,  कि कोई गर्मियों के धूप से बचने के लिए   उम्मीदों का छाव ढूढ़ रहा होगा। बुरा लगता है ! बुरा लगता है ,  जब AC लगे शीतल कमरे में बैठा,  मन में एक खयाल आता है ,  कि कोई पिता तपतपाती गर्मी के चिलचिलाती धूप सहकर अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना कर रहा होगा। बुरा लगता है ! बुरा लगता है ,  जब AC लगे शीतल कमरे में बैठा,

ऐ बिहार।

हिम्मत तो नहीं होती, कि कुछ लिख पाऊं उन माताओं के लिए जिन्होंने अपने लाल खोए हो, लेकिन मन के ठंढक के लिए कपकपाती हाथों से लिखे कुछ पंक्तियाँ साझा करना चाहूँगा ,  पंक्तियाँ है :- ऐ बिहार सुन जरा उस माँ की पुकार, लूट गए जिनके घर संसार, ऐ बिहार सुन जरा सुन उस माँ की पुकार । मोहल्ले में जब मचा था मौत का शोर , पूँछ रहे थे वो मैच स्कोर, अरे कुछ तो शर्म करो मेरे यार ၊ जरा पूँछो उनसे , लूट गए जिनके घर संसार ၊ 153 गोदें सूनी हुई ,  घर का चिराग बुझा , अरे अब तो कुछ करो सरकार ၊ ज़रा पूँछो उनसे , लूट गए जिनके घर संसार ၊ अरे कब तक पुरातन सीढ़ियाँ चढ़ अपने को ऊँचा बतलाओगे, अरे अब तो कुछ बदल दो सरकार ၊ जरा पूँछो उनसे , लूट गए जिनके घर संसार ၊ जवाना बदल रहा है मेरे यार , बनाओ अपना एक नया बिहार ,  जहाँ हो जीवन सुखमय ,  और न हो उन माँ जैसा कोई लाचार ၊ अरे अब तो बदल जाओ बिहार ,  अब तो बदल जाओ बिहार ၊ ज़रा  पूँछो उनसे , लूट गए जिनके घर संसार ၊ ऐ बिहार सुन ज़रा उन माँ की पुकार..... ........................