#चंद्रयान2



जीवन में  यदि कभी आपको अपने नाकामयाबी से निराशा हो, या लगे मैं कुछ नहीं कर सकता , आपकी आंतरिक ऊर्जा विलीन हो जाए और आप अपने आप को निरर्थक समझने लगें तो एक बार अपने इसरो के वैज्ञानिकों के बाड़े में सोच लेना जिनकी 11 वर्ष की जीतोड़ मेहनत 11 सेकंड में टूट जाति है फिर भी वो अटूट विश्वास के साथ सफलता की उम्मीद लिए निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं । मिशन चंद्रयान 2 इस बात की मिशाल है। हमने इस मिशन में 95% कामयाबी हासिल की है भले ही पूर्णतः नहीं लेकिन ये बहुत बड़ी कामयाबी है , वैसे भी विज्ञान में कोई नाकामयाबी नाम कि चीज नहीं होती ,होता है तो बस प्रयोग और उस प्रयोग से मिलने वाली सीख ।

मैंने चंद्रयान 2 पर कुछ काव्य पंक्तियां लिखी है  , पढ़ कर जरूर कॉमेंट करें।



है चांद को छूने की आश , हम करते रहेंगे अथक प्रयास ,
आज यदि अनुतीर्ण हुए हैं , तो कल हम उत्तीर्ण हो दिखलाएंगे 
वो दूर नहीं दिन जब चांद पर भी हम अपना परचम लहराएंगे ।



संपर्क हमारा टूटा है , आश नहीं टूटी है पर ,
आज न सही कल फिर , ये वार हम दोहराएंगे ,
उपहास उड़ाने वाले को हम मीठा थप्पड़ जड़ जायेंगे,
वो दूर नहीं दिन जब चांद पर भी हम अपना परचम लहराएंगे



रूठे चांद को मनाना हमें आता है, 
अब तो मंगल पर भी मंगलध्वनि गूंजेगी ।
पूर्ण यक़ीन है हमें अपने इसरो शूरवीरों पर, चांद पर भी अपनी जमीन होगी ।
वर्षों के मेहनत का लोहा हम दुनियां वालों को
 मनवाएंगे।
वो दूर नहीं दिन जब चांद पर भी  हम अपना परचम लहराएंगे ।



Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

ऐ बिहार।

लाचार इंसान

इक्षा ! कुछ कर गुजरने की ।