इक्षा ! कुछ कर गुजरने की ।

जग में आए हैं तो कुछ लेकर जायेंगे,
यू ही नहीं हम मर कर जायेंगे ।
रास्ते चाहे जो भी हो उसपर फतह कर जायेंगे,
सफलता की सीढ़ी को अपने कदमों में गिरा जायेंगे।
जग में आए हैं तो कुछ लेकर जायेंगे ,
यू ही नहीं हम मर कर जायेंगे।

हम वो सूखे पत्ते नहीं ,
जिसे पवन का एक झोंका उड़ा ले जाए,
हौसले बुलंद हैं हमारे आंधियों से भी लड़ कर जायेंगे।
जग में आए हैं तो कुछ लेकर जायेंगे,
 यू ही नहीं हम मर कर जायेंगे।

चाहे हजारों मुश्किलें हमारी राह रोके,
कठिनाइयां हमारे सर चढ़ बोले ,
हम रुकेंगे नहीं , हम थकेंगे नहीं,
अपने हौसलों कि उड़ान से आसमान भी छोटा कर जायेंगे।
जग में आए हैं तो कुछ लेकर जायेंगे,
यू ही नहीं हम मर कर जायेंगे।

अपने लक्ष्य को हम अपना दृढ़ संकल्प बनाएंगे,
हंसते हंसते उसके लिए आग का दरिया भी पार कर जायेंगे,
अपने अदम्य ताकत से हम बंजर में फूल खिलाएंगे।
जग में आए हैं तो कुछ लेकर जायेंगे,
यू ही नहीं हम मर कर जायेंगे।


धन्यवाद
आपको ये कविता कैसी लगी कॉमेंट सेक्शन में जरूर लिख कर पोस्ट करे।और हमसे इसे लिखने में कोई भी त्रुटियां हुई है तो इसे भी जरूर अवगत करवाए हमें अच्छा लगेगा ।
कविता को पढ़ने के लिए अपना कीमती समय देने के लिए  आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद। 

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