सुशांत सिंह राजपूत।

सुशांत सिंह राजपूत , एक ऐसी हस्ती जिन्होंने अपने मेहनत के बूते अपने आप को इस काबिल बनाया की लोगों के दिलों में अपनी छवि कर जाएं । पढ़ाई से लेकर खेलकूद , एवम् कलाकारी में उन्होंने कड़ी मेहनत कर अपने आप को उजागर किया। आईआईटी मैंस कहे जाने वाले aieee में उन्होंने 7 रैंक हासिल किया , वो फिजिक्स ओलंपियाड में भी उत्तीर्ण हुए। इन सब के बावजूद उन्होंने कॉलेज छोड़ अपने आप को छोटे से लेकर बड़े पर्दे पर निखारा। इन सब चीजों को परे रख ऐसी क्या गम थी जिसने इन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर किया ? इनके देहांत से मैं स्तब्ध हूं, इनके आत्मा की शांति के लिए मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगा । 
कुछ पंक्तियां पेश करना चाहूंगा मेरे सबसे चहीदे स्टार के लिए ।
क्या ये हसी ,गम है।

आज नैनों में अश्कों के डेरे हैं,

कोई छोर कर चला गया,

बस अब  सबके दिलों पर उसके यादों के पहरे हैं।



वो शक्स जिसने सबके गमों को बांटा था ,

अपने बेहतरीन कलाकारी से जिसने

गमों के जंजीरों को काटा था,

इस कदर छोर चले जाओगे तुम,

ये हमने कभी ना सोचा था।



ऐसी क्या मजबूरी थी,

जो इस कदर दुनिया छोड़ जानी जरूरी थी,

यदि थक चुके थे पथ चलते चलते ,

तो थोड़ी आराम करने में क्या परेशानी थी।



तुम्हें लोगों ने अपना प्रेरणा माना था,

पढ़ाई से लेकर कलाकारी में तुमने अपना लोहा मनवाया था,

सफलता के परम सीमा को लांघ तुमने अपनी हस्ती बनाई थी,

फिर असफलता के किस कड़ी ने ऐसी मजबूरी लाई थी।



तुम तो  अच्छे पाठक भी थे, हजारों किताब तुमने देखी थी,

ग़ालिब के उस पंक्ति से होकर तो तुम गुजरे हीं होगे,

“जब खुशी ही ना रही, तो गम की क्या औकात”

क्या ये बात तुम्हे याद न आई थी।



अब बस सबकी आंखें नम है,

बस तेरे जाने का ही लोगों में गम है ,

पर क्या ये गम तेरे मौत से कम है?

तुम तो चले गए, बस एक जख्म जीवन भर दे गए,

जब भी तुम्हे ये आंखें देखेगी, तेरे यादों में जरूर छलकेगी ।


I am your big fan sushant😫😫

खुशी और गम में क्या कोई अंतर नहीं?







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